ऐ राही..
भरोसा रख खुद पर..
ये दिन भी ज़रूर बदलेंगे ।
चाहे कितने ही तूफ़ान आएँ..
ये दुःख के बादल भी ज़रूर छंट लेंगे ।।
ऐ राही..
हवाएँ तो डराएंगी..
उनसे ना भयभीत हो ।
डट कर खड़ा रह ऐसे..
जिस से सिर्फ तेरी..
हाँ तेरी ही जीत हो ।।
ऐ राही..
बस इक बात मेरी मानियो..
कि
तूँ चलना ना कभी भुलियों।
वों ही तेरी पहचान है ।
चाहें पैर पे पड़े छालें हज़ार ।
चलने से ही तेरा नाम है ।
ऐ राही..
फिर वो दिन भी दूर नहीं ।
जब तू भी उड़ान भरेगा ।।
नाम तेरा लिखा जाएगा ऐसे ।
की युगों युगों तक हर कोई पढ़ेगा ।।
ऐ राही..
ले कर ये जूनून..
सफ़र तू शुरू कर दे ।
इसी हिम्मत और जोश के साथ..
अपनी ज़िंदगी खुशियों से भर दे !!