सवाल ही सवाल है..
कही कोई आस नहीं ..
जाता रहा सब दूर ..
अब कुछ भी पास नहीं..
क्यों हम इस दुनिया में आते है ..
क्या हम आकर पाते है ..
क्यों जो दिल के सबसे करीब है ..
वही नहीं हमे कभी मिल पाते है ..
क्यों हर कोई इक मुसाफिर सा नज़र आता है ..
क्यों हर कोई अपनी ही राहों में अपने आपको भटकाता है ..
क्यों हम हमेशा उन्ही को चाहते है..
जो इंसान हमे सबसे ज्यादा दुःख पहुंचाते है..
क्यों ये सवाल इस तरह हमे अँधेरे में बहा कर ले जाते हैं ..
कि जवाबो की लौं को हम चाह कर भी जला ही नहीं पाते है..
और क्यों हम सोचने लगते है कि…
कि सवाल ही सवाल है..
कही कोई आस नहीं..
जाता रहा सब दूर..
अब कुछ भी पास नहीं..