आज फिर तू सामने आया..
आज फिर वही मंज़र दोहराया..
फिर दिल ने हमसे फ़रमाया..
क्यों ये पल ना पहले आया..
आज फिर तू सामने आया ..
याद है मुझे वो समा..
कैसा था मेरा वो जहां..
रंगीन तितलियाँ सी थी हर तरफ..
और खुशियों से भरा था आसमान..
पर फिर ना जाने कहाँ से एक आंधी सी आ गयी..
सभी जज्बातों, सभी अरमानो को अपने अन्दर ही बहा गयी..
सोचा होगा आंधी ने भी कि टूट जाएंगे हम..
लगा होगा ऊपर वाले को भी कि हम सह ना पाएँगे गम..
पर हुआ कुछ ऐसा कि खड़े रहे हम हवाओ में ऐसे..
कि वो हवाए ही हमे मुश्किलों में खड़ा रहना सिखा गयी ..
पर आज फिर तू सामने आया है..
आज फिर मंज़र दोहराया है..