ऐ राही ।।
ऐ राही.. भरोसा रख खुद पर.. ये दिन भी ज़रूर बदलेंगे । चाहे कितने ही तूफ़ान आएँ.. ये दुःख के बादल भी ज़रूर छंट लेंगे ।। ऐ राही.. हवाएँ तो डराएंगी.. उनसे ना भयभीत हो । डट कर…
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ऐ राही.. भरोसा रख खुद पर.. ये दिन भी ज़रूर बदलेंगे । चाहे कितने ही तूफ़ान आएँ.. ये दुःख के बादल भी ज़रूर छंट लेंगे ।। ऐ राही.. हवाएँ तो डराएंगी.. उनसे ना भयभीत हो । डट कर…
Continue readingचलता जा चलता जा। रुकना तेरा काम नहीं।। रुकेगा तू जहाँ । मिलेगी तुझे हार वहीं।। रुकते वो हैं जो डर जातें हैं। डरते वो हैं जो मर जातें हैं।। तुझे तो जीते जाना हैं। मरना तेरा काम नहीं।। तू…
Continue readingकही खो गया था राह में ..कही खो गया था चाह में । आस पास की ख़बर ना थी.. सुलझी अपनी डगर ना थी ।। ख्याल लाखों मन को सतातें.. दुखों की दास्तान हमें सुनाते । ख़ुद पर भरोसा ही…
Continue readingसवाल ही सवाल है.. कही कोई आस नहीं .. जाता रहा सब दूर .. अब कुछ भी पास नहीं.. क्यों हम इस दुनिया में आते है .. क्या हम आकर पाते है .. क्यों जो दिल के सबसे…
Continue readingसोचता हूँ मै अक्सर कि..
क्यों ये दुःख इतना दुखाते है?
क्यों ये गम इतना रुलाते है?
अकेले अकेले ही तो चलना है..
बिन सहारे के ही तो संभालना है l
जब डगर में कोई भी देना नहीं चाहता साथ..
क्यों दुआ करते है हम की डाले कोई हाथो में हाथ ??
जाना है यही इस दुनिया का दस्तूर है..
पर फिर भी क्यों लगता है कि ना जाने किस बात से मजबूर है??
मानता हूँ कि आखिर में नहीं रहता कुछ भी दरमियाँ..
सहनी ही पडती है ये बेदर्दियाँ ..!!
ऐसे ही हमे चलते जाना है ..
सभी अरमानो को, सभी ख्वाइशो को निगलते जाना है …!!
पर फिर भी ना जाने क्यों मै अक्सर सोचता हूँ कि….
क्यों ये दुःख इतना दुखते है ??
क्यों ये गम इतना रुलाते है ??
आज फिर तू सामने आया.. आज फिर वही मंज़र दोहराया.. फिर दिल ने हमसे फ़रमाया.. क्यों ये पल ना पहले आया.. आज फिर तू सामने आया .. याद है मुझे वो समा.. कैसा था मेरा वो जहां.. रंगीन तितलियाँ सी…
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